प्रणय गान
तेरे नयनों की भाषा ने,मुझको जीवन दान दिया ! सिसक-सिसक कर जीता था मैं,जीने का अरमान दिया !! मौसम अब
Read Moreदर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप ! वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप !! इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर
Read Moreकलमकारिता लोकतंत्र का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होनेवाले जीवन और जगत का दर्शन कराया जाना लेखनी द्वारा ही संभंव
Read Moreभारत के जनतंत्र की,गूंज रही जयकार। एक बार फिर से हुआ,मोदी का सिंगार ।। वह सच्चा सरदार है, जननायक,सरताज ।
Read Moreउजियारे को तरस रहा हूं,अँधियारे हरसाते हैं ! अधरों से मुस्कानें गायब,आंसू भर-भर आते हैं !! अपने सब अब दूर
Read Moreमाता सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !!पीड़ा,ग़म में भी रखे,अधरों
Read Moreदुनिया कैसी हो गई, कैसे हैं अब लोग! पूजा से सब दूर हैं, चाहें केवल भोग!! सेवक बनकर घूमते, पर
Read More“तुम तो अपने पति की काबिलियत और उनके गुणों की तारीफ करते हुए नहीं थकती थीं, पर अब क्या हो
Read Moreनौजवान लगता वही,रखता जो उत्साह । यदि तुम में गतिशीलता,तो निश्चित तुम शाह।। कभी नहीं जो हो शिथिल,उसको मिलती राह।
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