हमारी इज़्ज़त
आज सिंधु की लहरों ने, ली फिर से अंगड़ाई है, बूढ़ी साँसों में भी फिर-फिर, जाग उठी तरुणाई है, ताल
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Read Moreहमारा देश, देश-भक्तों के देश है। हमें प्राथमिक कक्षाओं से प्रतिज्ञा करवाई जाती है “ भारत, हमारा देश है। …..हमें
Read Moreसृष्टि के हर अंश में तेरा रूप नज़र है आता, कहाँ छुपाऊँ तुझको प्रियतम समझ नहीं मैं पाता। मुसकाओगी तो
Read Moreप्यार से प्यारा, इस धरती पर सुंदरतम उपहार नहीं है, कह दो कि तुम्हें प्यार नहीं है? प्यार की लहरें
Read Moreउसने कहा था, जब बरसेगा आसमान से पानी याद तुझे करती होगी इक, तेरी दरस दीवानी। मेरी पायल की रुनझुन, बूँदों की
Read Moreअब ना तारणहार आएँगे, ना ही पालनहार आएँगे माखन-मिश्री भोग लगाने, मोहन ना अब द्वार आएँगे। शकुनि की शातिर चालों
Read Moreराष्ट्रध्वज कभी-कभी अपना अपमान देखकर संभवत: यही सोचता होगा– हूँ भारत के स्वाभिमान का उन्नत-गर्वित माथा मैं भारत माता का आँचल और
Read Moreआज तेरा अभिषेक करूँ मैं सप्तसिंधु के धारों से हार तेरा मैं गुँथ लाऊँगा सूरज-चाँद-सितारों से पूरब-पश्चिम की लाली ले
Read Moreनागपुर, भारत के सांस्कृतिक महत्व का शहर है। इसके अनेक कारण हैं जिनमें से तीन प्रमुख कारण मैं आपको बतलाता
Read Moreप्राथमिक कक्षाओं से अब तक यही पढ़ता-पढ़ाया आया हूँ और जैसे कि सारा संसार जानता है-‘भारत अनेक धर्मों का एक
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