मेरे अन्तर्हृदय की भावना को जान लेती है मेरे शब्दों से पहले तू मुझे पहचान लेती है ममता वेदना सम्वेदना की मूर्ति है तू मेरी माँ सब हठों को तू विनय से मान लेती है बनाकर हाथ से नवनीत तू मुझको खिला दे माँ बिठाकर गोद में अपनी मुझे अमृत पिला दे माँ न जाने […]
Author: डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
विभागाध्यक्ष, हिंदी
अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय,
अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111
मोबाइल- 9826335430
ईमेल[email protected]
मुक्तक
आत्मानंद के पल में सदा ही ध्यान होता है, ध्यान की ही अतल गहराई में विज्ञान होता है, डूब जाना मिले मौका तभी इस ध्यान सागर में, समझ पाए न जो इस ज्ञान को अज्ञान होता है।। डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
व्यंग्य : दादा ने दारू पीकर निभाया अपना राष्ट्र धर्म
डिनर करने के बाद हम प्रतिदिन की तरह बॉलकनी में बैठे बैठे मोबाइल पर फेसबुक नोटिफिकेशन देख रहे थे तभी नीचे एक बाइक के रुकने की आवाज आई। गली की स्ट्रीट लाइट पिछले लगभग चालीस दिनों से खराब होने के कारण कौन आया है? यह पहचानने में कठिनाई हो रही थी । नीचे से आवाज […]