मेरे शिव
ऊंचे पर्वत पर बैठे शिव हैं,सागर तीरे देखो शिव हैं,भारत के हर कण कण में ,जन मानस के मन में
Read Moreकभी धूप में छांव बन जाती है, कभी पसीने में रूमाल बन जाती है, थाम लो जो एक बार इसे,
Read Moreदुनिया की भीड़ से बचना चाहती हूं, लोगों की नजरों से छुपना चाहती हूं, चेहरे पर मुखौटे हैं सबके यहां,
Read Moreपटना के कालिदास रंगालय में सामयिक परिवेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत दूसरे दिन के कार्यक्रम में युवा
Read Moreकिसी के कटोरे में खनकते देखा है किसी के पाकिट में सिमटते देखा है मैंने पैसे को बदलते देखा है
Read Moreमेरे आईने को भी अज़ीज़ है तू, उनमें तेरा अक्स अब भी बाकी है तेरी रूह के छलावे से अचंभित
Read More