कहानी – पंचायत का मुक्का
एक पल को लगा पूरी पंचायत को सांप सूंघ गया हो…! ” अगर हमर साथ भेद भाव होतअ आर नियाय
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Read Moreफूफा फूलचंद की फुफकार और ललकार से ही गजोधर बाबू की इज्जत – आबरू बची ! राहत मिली थी !
Read Moreनूना मेरे पास काम की तलाश में आया था। अपने नये फार्म हाउस के लिए मुझे एक नौजवान नौकर की
Read More” मेरे घर में यह कदम नहीं रख सकती है, जहां से इसे उठा लाए हो वहीं छोड़ आओ….!” बेटे
Read Moreआज फिर बुधिया चार बजे भोर भादो को ढूंढने निकल पड़ी थी । मैं जान बूझ कर उसके रास्ते से
Read More“खट मरे मुर्गा, बिलाय खाये अण्डा ” यह कहावत छोटा नागपुर पठार में चिरकाल से बसने वाले और झारखंड की
Read Moreफूफा फूलचंद की फुफकार और ललकार से ही गजोधर बाबू की इज्जत – आबरू बची ! राहत मिली थी !
Read Moreउनका पूरा कमरा ही शोक में डूबा हुआ था और विधायक जगतलाल जमीन पर पालथी मारे बैठे छाती पीट रहे
Read Moreतुमूल बाबू की सुबह घूमने की आदत बंद नहीं हुई थी। तीस साल पहले जो आदत बनी थी, वो आज
Read Moreशमीम साहब हैरान-परेशान है,सप्ताह दिन से नेता जी को खोजते फिर रहे है,पर नेता जी है कि अपना टेबल कुर्सी
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