कुलभूषण
माँ का आशीर्वाद और पत्नी की बेआवाज़ सिसकियाँ जरुर भेद पायी होगी शीशे की मोटी दिवार.. और पहुँच पायी होगी
Read Moreहै हर तरफ़ प्रपंच और झूठ का हीं मंच पर अडिग रहो, अथक बढ़ो , रुको नहीं संदेह में ।
Read Moreकल की गुलामी अंग्रेजों की थी, पर आज तो हम आजाद हैं ना? डर,आरजकता,लोभ,स्वार्थ अब, हर कोने में आबाद है|
Read Moreचलो अब जितने नाबालिग बलात्कार करना चाहे वो कर सकते हैं । आधे केस में लड़कियां चुप हो जाएंगी या
Read Moreन तपन वो ठंडी पड़ी अरमानों के लाश पर भी, न लगन वो हर हार के मुलाकात पर भी| बेटों
Read Moreमेरा गलीचा मन के सफ़ेद गलीचे में तुम तुरुप गए दो लाइन काले रंग से । तुरपाई चाहे सिल
Read Moreकाश! मैं ताड़ होती जब भी होता आंधी का सामना काश ताड़ के पत्तों की तरह मैं भी कट जाती कई भागों
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