कविता

​आजाद है हम !

कल की गुलामी अंग्रेजों की थी,
पर आज तो हम आजाद हैं ना?
डर,आरजकता,लोभ,स्वार्थ अब,
हर कोने में आबाद  है|

बर्बर,डच,मुग़ल,तुगलक,
तो  एक के बाद एक थे आए|
अब तो आलम ये है प्यारे,
सारी नीचता एकजुट है छाये|

कल हीरे लूटे,मंदिर लूटे,
अस्मत की चादर छीनते आए,
आज इनमे से आज कौन बचा
विश्वास की लूट चार चाँद लगाए|

गुलामी की मोटी जंजीरें,
पहले से भी कसी हुई,
चेहरे और तरीके बदले,
नीयत वहीँ पर फसी हुई |

मत जगना,तुम हो ‘आम नागरिक’
कोने मे दुबके सोये रहना,
किसी-किसी मौको पे कभी,
अंगडाई लेकर फिर सो जाना|

हम गुलाम कल थे आज भी है
बस मौके और हालात हैं बदले|
फितरत तो अब भी रक्त-चूषक
शोषक के अंदाज़ हैं बदले|

स्वाति वल्लभा राज

स्वाति कुमारी

नाम - स्वाति पति- श्री राज कुमार जन्मतिथि- २२ अप्रैल जन्मस्थान -सिवान (बिहार) शिक्षा -ऍम.बी.ए व्यवसाय- हाउस वाइफ प्रकाशन सृजक (त्रैमासिक पत्रिका- प्रबन्ध संपादन), टूटते सितारों की उड़ान (साँझा कविता संग्रह) विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन ब्लॉग http://swativallabharaj.blogspot.in/ ​http://swati-vallabha-raj.blogspot.in/ छोटे शहर से हूँ और बहुत सी बातों को करीब से देखा और महसूस किया है । लिखना बचपन से हीं सुकून देता रहा है। फिर जीवन के भाग दौड़ में इसकी रफ़्तार एकदम मंद हो गयी । अभी कुछ समय से फिर कोशिश जारी है । लेखनी में इतनी ताकत भरना चाहती हूँ कि समाज की गलत धारणाओं और कुरूतियों के खिलाफ ना सिर्फ लिख पाऊं बल्कि लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करूँ ।

One thought on “​आजाद है हम !

  • रीना मौर्य "मुस्कान"

    मौजूदा हालात पर सटीक अभिव्यक्ति है आपकी..
    पहले बाहरवालों से डर था अब घरवालों से ही डर है…
    पर हैं कुछ अच्छे लोग जिसपर दुनिया कायम है ..

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