सामाजिक

निर्भया नहीं ज्योति सिंह

चलो अब जितने नाबालिग बलात्कार करना चाहे वो कर सकते हैं । आधे केस में लड़कियां चुप हो जाएंगी या चुप करा दी जाएंगी । बाकी पकडे नहीं जाएंगे । जो एक आध पकडे जाएंगे उनके सजा के लिए हम और आप कैंडल मार्च करेंगे । कुछ ”पढ़े लिखे लोग एक राजनैतिक मुद्दा बना सत्ता हासिल कर लेंगे और तीन चार साल बाद उस अपराधी को ”नाबालिग कहँ छोड़ दिया जाएगा । संसद चलेगा नहीं जहां ऐसे कानून में संशोधन का प्रस्ताव पारित हो । जो राजनेता ऐसे हालातों को मुद्दा बना सत्ताधारी हुए हों वो उस नाबालिग के भविष्य सुधारने में लग जाएंगे और सबसे बड़ा सच । ज्योति सिंह को निर्भया बना दिया जाएगा और उस ”नाबालिग आत्मा ” की पहचान भी नहीं बताई जाएगी । ये वही ” मासूम नाबालिग” है जिसने बलात्कार किया तो किया रॉड घुसाने वाला महान कृत्य कर अपनी मासूमियत का परिचय दिया ।क्या किसी नाबालिग के साथ कोई बालिग़ बलात्कार करे तो उसे सामान्य से ज्यादा सजा दी जाती है? यहां मानवाधिकार कहाँ चला जाता है ? तो फिर मैं ये क्यों ना मानूँ की यहाँ भी लड़के और लड़की में भेद भाव है और ये भेद भाव करने वाला हमारा कानून और सामाजिक सोच है । बधाई हो ” सहिष्णु, लोकतांत्रिक , धर्म निरपेक्ष भारत की । ऐसे हैं शब्दों में घिरे रहना ।
हालांकि ये मानवाधिकार का विषय है और साथ में जड़ें कहीं और पसरी हैं मगर विचित्र सामाजिक , राजनैतिक और कानूनी लचरता देख कर नियंत्रण खो बैठी ।निर्भया को निर्भया कहने की हिम्मत हो तब हीं कहना । मेरा सिर्फ एक विचार है – जो भी करे उसे एक जैसी सजा हो । कैसा नाबालिग और कैसा मानवाधिकार ..

स्वाति वल्लभा राज

स्वाति कुमारी

नाम - स्वाति पति- श्री राज कुमार जन्मतिथि- २२ अप्रैल जन्मस्थान -सिवान (बिहार) शिक्षा -ऍम.बी.ए व्यवसाय- हाउस वाइफ प्रकाशन सृजक (त्रैमासिक पत्रिका- प्रबन्ध संपादन), टूटते सितारों की उड़ान (साँझा कविता संग्रह) विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन ब्लॉग http://swativallabharaj.blogspot.in/ ​http://swati-vallabha-raj.blogspot.in/ छोटे शहर से हूँ और बहुत सी बातों को करीब से देखा और महसूस किया है । लिखना बचपन से हीं सुकून देता रहा है। फिर जीवन के भाग दौड़ में इसकी रफ़्तार एकदम मंद हो गयी । अभी कुछ समय से फिर कोशिश जारी है । लेखनी में इतनी ताकत भरना चाहती हूँ कि समाज की गलत धारणाओं और कुरूतियों के खिलाफ ना सिर्फ लिख पाऊं बल्कि लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करूँ ।