कविता

कविता : इस दिसम्बर तक

ये सर्दीयो की लम्बी लम्बी राते
तुम्हारी याद की तपिस बढा देती है
उस पर ये खुबसुरत वहम कि
तुम जहां भी हो मेरे हो
अब आ जाओ कि फैसला ले लें
कहां तक साथ हो
कहां तुम बिछड जाओगे
कि समय का झोकां
कहां हमे ले जाये
और अगले दिसम्बर
ना जाने
हम कहा तुम कहा होगे ।।

— साधना सिंह

साधना सिंह

मै साधना सिंह, युपी के एक शहर गोरखपुर से हु । लिखने का शौक कॉलेज से ही था । मै किसी भी विधा से अनभिज्ञ हु बस अपने एहसास कागज पर उतार देती हु । कुछ पंक्तियो मे - छंदमुक्त हो या छंदबध मुझे क्या पता ये पंक्तिया बस एहसास है तुम्हारे होने का तुम्हे खोने का कोई एहसास जब जेहन मे संवरता है वही शब्द बन कर कागज पर निखरता है । धन्यवाद :)

One thought on “कविता : इस दिसम्बर तक

  • किरण सिंह

    सुन्दर

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