अन्दर की पत्थर
तराशिये अन्दर के छिपे पत्थर को जिससे मुन्दर एक बुत बन जाये जग वाले तुम पर फख्र करे और जो
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Read Moreरब ने बनाई कैसी संसार सिमट गया है आचार विचार घर में छुपकर रोता संस्कार सामाजिकता का भूला व्यापार गाँव
Read Moreबेरहम समय की कैसी ये धारा है ना मिलता मंजिल ना किनारा है बहुत सताया है रे तुम बेईमान कैसा
Read Moreभारत ऋषियों मुनियों की धरती है जहाँ सावन की मेघा रोज बरसती है नदियाँ पर्वत की गोद से उतरती है
Read Moreअय नील गगन के बादल सजनी की बन जा तुँ आँचल पूरवाई संग संग चले आना सर की
Read Moreभगवान किस गुनाह की तुम दे रहे हो हमें ये सजा गर सच्चाई पे चलना पाप है
Read Moreसज गई हुस्न की बाजार यहाँ बेशर्म मजनूँ घुमता है जहॉ जिस नारी ने नर को जन्म दिया उस
Read Moreमेघा नभ पे आया मतवाला खोल दिया बादल का ताला उमड़ घुमड़ बदरा इतराये गगन से बुदें जल बरसाये
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