कविता

आँखें

जब होती है आँखों को ऑखों से बात
मन की धरातल पे होती प्रेम बरसात
दिल की पैगाम दिल तक पहुँच जाये
समाज की दीवार उसे रोक भी ना पाये

प्यार की ऑचल जब हवा में लहराये
काली मेघा नभ पे तब छा       जाये
मनमीत के संग पहचान नई बन जाता
मोहब्बत गगन के बादलों में इठलाता

नजरें नजरों से बाँट रही प्यार की ज्ञान
नजरों से एक दूजै से होती जान पहचान
कोई भी बाधा प्यार की राह पे ना  आये
जज्बा – ए = मोहब्बत दिल में समा जाये

प्रीत की दीदार में आँखें हुई बकरार
बहने लगती है गम की अश्रु की धार
चलो बाग में संग अठखेलियाँ खेलें
सुख दुःख में एक दूजै संग जी   लें

आँखों को आँखें से जब होती है प्यार
अच्छी लगने लगती है प्रीत दिलदार
मन में प्रीत का तब आना व   जाना
प्रेम रोग का परवान तब चढ़  जाना

आँखों में बस जाती है प्रेम की संसार
खिलने लगती है गुलशन में   बहार
बिजुरी गगन में जब जब चमक जाये
मुखड़ा प्रीतम की सुन्दर तब भाये

फिजां में घुलने लगती है     भंग
आँखें जब होती है आँखों के संग
मोहब्बत खुमार तन पे छा जाता
सावन भी प्रेम फुहार  बरसाता

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088