आत्मकथा : एक नज़र पीछे की ओर (प्रस्तावना)
प्राक्कथन जड़ चेतन गुन दोषमय विश्व कीन्ह करतार। संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि वारि विकार।। सियाराम मय सब जग
Read Moreप्राक्कथन जड़ चेतन गुन दोषमय विश्व कीन्ह करतार। संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि वारि विकार।। सियाराम मय सब जग
Read Moreहमारे तत्कालीन सहायक महा प्रबंधक श्री राम आसरे सिंह बहुत ही सज्जन थे। सभी अधिकारियों की व्यक्तिगत समस्याओं पर भी
Read Moreमैं बता चुका हूँ कि वाराणसी के आसपास घूमने की बहुत सी जगह हैं। मुख्य रूप से सारनाथ तो शहर
Read Moreशीर्षक पढ़कर चौंकिये मत! बहुत से लोग होते हैं जिन्हें बीमार रहने और दवाइयां खाते रहने का शौक होता है।
Read Moreअब जरा लखनऊ के अपने मकान की बात कर ली जाये। मैं लिख चुका हूँ कि सन् 1986 में मैंने
Read Moreगर्मी के दिनों में पतले दस्त जिसे डायरिया कहा जाता है की शिकायत बहुत हो जाती है। इसके निम्न कारण
Read More1995 तक मेरे पास किसी प्रकाशक से कोई पुस्तक लिखने का आदेश नहीं था। बी.पी.बी. प्रकाशन वालों ने जो आदेश
Read Moreहँसने की क्रिया को आप मजाक में मत लीजिए। यह एक बहुत गम्भीर मामला है। हममें से बहुत से लोग
Read Moreमैं दूसरे दिन प्रातः नई दिल्ली स्टेशन पर उतर गया। सांसद श्री वीरेन्द्र सिंह जी मुझे प्लेटफार्म पर ही मिल
Read More1994 में जनवरी माह में मैं एक पुत्री का पिता बना। मेरे एक पुत्र था ही। एक पुत्री और हो
Read More