कुण्डली/छंद

सावन की कुण्डलियां

1. सावन महीना आ गया, मन है भाव विभोर। पपीहे कुहू-कुहू कर रहे, नृत्य कर रहे मोर। नृत्य कर रहे मोर, छायी चहुँ दिश हरियाली। मेघ कर रहे नाद, घटाएँ छायी काली। कहे विनय सज गए, शिवालय मंदिर पावन। आया शिव का प्रिय, महीना रिमझिम सावन। 2. राधा रानी झूला झूलें, नन्हीं पड़े फुआर। झोंटे […]

कुण्डली/छंद

चुनावी कुण्डलिया

(1) इनको कुर्सी चाहिए, दल से नहीं है प्यार। जो दल इनको टिकट दे, सदा रहें तैयार। सदा रहें तैयार, बदल दल चाहें सत्ता। भले बाद में यही, बनें धोबी का कुत्ता। कहें विनय दल कोई भी हो टिकट चाहिए जिनको। छांट रखे हैं ऐसे गुण्डे, विजयी बनाएं इनको। (2) खोट ह्रदय में लिए हुए,नेता […]