कुण्डली/छंद

चुनावी कुण्डलिया

(1)
इनको कुर्सी चाहिए, दल से नहीं है प्यार।
जो दल इनको टिकट दे, सदा रहें तैयार।
सदा रहें तैयार, बदल दल चाहें सत्ता।
भले बाद में यही, बनें धोबी का कुत्ता।
कहें विनय दल कोई भी हो टिकट चाहिए जिनको।
छांट रखे हैं ऐसे गुण्डे, विजयी बनाएं इनको।
(2)
खोट ह्रदय में लिए हुए,नेता करते काम।
प्यार इन्हें धन से बहुत, भले होएं बदनाम।
भले होएं बदनाम, रखें दो हट्टे कट्टे।
सारे नेता एक थाल के चट्टे-बट्टे।
कहें विनय ये कंबल बाँटें, या फिर बाँटें नोट।
आप जानिए इनके दिल में, भरा है कोई खोट।

— विनय बंसल

विनय बंसल

स्वस्तिक पेपर मार्ट नामक आगरा के प्रतिष्ठित व्यावसायिक प्रतिष्ठान के संस्थापक श्री वीरेन्द्र प्रकाश अग्रवाल (स्मृतिशेष) के ज्येष्ठ पुत्र तथा सरस्वती के मौन साधक श्री पुरुषोत्तम दास अग्रवाल (स्मृतिशेष) के पौत्र श्री विनय बंसल हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपका जन्म 16.08.1961 को आगरा में हुआ था। आपने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक तथा स्नातक शिक्षा आगरा में ही ग्रहण की। भारतीय स्टेट बैंक में विभिन्न कार्यभार करने के साथ-साथ हिन्दी में निबंध एवं लेख लिखना इनकी रुचि रही है। रह एक संयोग ही है कि अपने 38 वर्षों के सेवाकाल में आपने बैंकिंग एवं संबंधित विषयों पर 38 लेख लिखे हैं जो बैंकिंग चिंतन-अनुचिंतन (भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई द्वारा प्रकाशित), आईबीए बुलेटिन (भारतीय बैंक संघ, मुंबई द्वारा प्रकाशित), प्रयास (भारतीय स्टेट बैंक, प्रधान कार्यालय, मुंबई द्वारा प्रकाशित), दिल्ली (भारतीय स्टेट बैंक, स्थानीय प्रधान कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित), स्टेट बैंक भारती (भारतीय स्टेट बैंक, प्रशासनिक कार्यालय, आगरा द्वारा प्रकाशित) आदि प्रख्यात बैंकिंग पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपने बैंकिंग पर कई पुस्तकें भी लिखीं हैं जो उपकार प्रकाशन, आगरा तथा पायनियर प्रिण्टर्स, आगरा आदि द्वारा प्रकाशित हैं। श्री विनय बंसल जी की एक पुस्तक की समीक्षा, जो भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रबंधक काजी मुहम्मद ईसा जी ने की है, के कुछ अंश इस प्रकार हैं-- कोई भी पुस्तक अपने वज़न से नहीं पहचानी जाती बल्कि उसकी अहमियत उसमें दी गई सामग्री की गुणवत्ता से आंकी जाती है। पुस्तक हाथ में आते ही हमारी पैनी निगाह सबसे पहले सरसरी जायजा लेने के बाद उसमें खामियां निकालने, गलतियां तलाश करने में जुट जाती है। इस पुस्तक में बहुत देर तक सर मारने के बावजूद भी मायूसी हाथ लगती है। ...इतने सारे मानदंडों के दरम्यान कई बार लेखक का प्रयास सायास सामने होता है तो कई बार पुस्तक स्वत: बोलने लगती है। पाठकों को पुस्तक के मिज़ाज में कहीं खामोशी नज़र नहीं आएगी, बल्कि कई बार पाठक रोचक प्रश्नों को पढ़कर आत्मसात् करने की कोशिश करेंगे। यही वह गुण हैं जो पुस्तक के रौशन पहलू को उजागर करते हैं। ... 348 पृष्ठों की यह पुस्तक अपने विषय के साथ पूरा न्याय करती हुई लगती है क्योंकि पुस्तक अपने भीतर विभिन्न विषयों की एक सदी समेटे हुए है। ... यदि यह कहा जाए कि लेखक ने गागर में सागर भरने का काम किया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्री विनय बंसल जी की सभी पुस्तकें उन बैंककर्मियों के लिए लाभप्रद है जो जे.ए.आइ.आइ.बी. परीक्षा, सी.ए.आइ.आइ.बी. परीक्षा तथा पदोन्नति परीक्षा उत्तीर्ण करना चाहते हैं। आपकी तीन पुस्तकें एलएल.बी., एम.कॉम, एम.बी.ए. के विधार्थियों के लिए भी लाभप्रद हैं । आपने भारतीय स्टेट बैंक, प्रशासनिक कार्यालय, आगरा द्वारा विभिन्न वर्षों में आयोजित निम्नलिखित राजभाषा प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किए हैं-- 1. निबंध लेखन प्रतियोगिता 2. लेख लेखन प्रतियोगिता 3. कहानी लेखन प्रतियोगिता 4. टिप्पणी लेखन प्रतियोगिता 5. अनुवाद एवं शब्द-ज्ञान प्रतियोगिता 6. पत्र लेखन प्रतियोगिता आप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित/सम्पादित निम्नलिखित पुस्तकों में सह-लेखक हैं-- 1. जोखिम प्रबंधन : एक परिचय 2. बैंकों में लाभप्रदता 3. बैंकों में कार्पोरेट गवर्नेस 4. रिटेल बैंकिंग और मार्केटिंग 5. भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली 6. ग्रामीण और विकासोन्मुख बैंकिग 7. वित्तीय समावेशन के विविध आयाम 8. विश्वव्यापी आर्थिक संकट : एक विवेचना 9. सहकारी बैंकिंग संगठन और स्वरूप 10. सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम : विविध आयाम 11. पूँजी पर्याप्तता एवं बासेल मानक आप बैंकर एवं लेखक होने के साथ-साथ कवि एवं गीतकार भी हैं। कोरोना दोहा-शतक तथा मुहावरों की दुनिया नामक आपकी दोनो लंबी काव्य रचनाओं की सर्वत्र सराहना की गयी है। निम्नलिखित प्रख्यात पत्रिकाओं के विभिन्न अंकों में आपकी विभिन्न कविताएं, गीत,कुण्डलियां और अज़ल प्रकाशित हो चुकी हैं-- 1. अरुणिता 2. आद्विका 3. कविता कानन 4. काव्य प्रहर 5. काव्य मंजरी 6. नव साहित्य 7. प्रतिलेख 8. मानवी 9. स्पंदन--ह्रदय से ह्रदय तक 10. स्वाभिमान 11. समानान्तर 12. संस्थान संगम मासिक पत्रिका 13. संगम सबेरा 14. सृजन 15. हरिहरहार आपने गत 8 माह में 70 से अधिक सम्मान प्राप्त किए हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-- 1. स्वाभिमान मंच (पंजाब) द्वारा सर्वोत्तम रचनाकार सम्मान 2. डीडी भारती नेटवर्क द्वारा अमृत महोत्सव साहित्य सम्मान 3. साहित्य बोध उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा साहित्य विशारद सम्मान 4. साहित्य प्रकाश रचना मंच द्वारा साहित्य मणि सम्मान 5. साहित्य बोध प्रमुख इकाई द्वारा साहित्य मयूर सम्मान 6. साहित्य बोध राजस्थान इकाई द्वारा साहित्य मणि सम्मान 7. निखिल प्रकाशन, आगरा द्वारा उत्कृष्ट लेखन सम्मान 8. साहित्य बोध असम इकाई द्वारा साहित्य सौरभ सम्मान 9. साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा श्रेष्ठ शब्दशिल्पी सम्मान 10. साहित्य बोध प्रमुख इकाई द्वारा साहित्य भारती सम्मान 11. साहित्य बोध बिहार इकाई द्वारा साहित्य गौरव सम्मान 12. राष्ट्रीय तूलिका मंच द्वारा साहित्य श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान 13. नव साहित्य परिवार भारत द्वारा हिन्दी गौरव सम्मान 14. साहित्य संगम संस्थान गोवा इकाई द्वारा साहित्य साधक सम्मान 15. साहित्य बोध राजस्थान इकाई द्वारा साहित्य मनीषी सम्मान 16. साहित्य बोध असम इकाई द्वारा साहित्य शिल्पी सम्मान 17. साहित्य संगम संस्थान झारखंड इकाई द्वारा देशरत्न सम्मान निम्नलिखित साझा काव्य संकलनों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं-- 1. आज़ादी का अमृत महोत्सव 2. कैसे करूँ श्रृंगार 3. भारतमाता दिवस 4. हिन्दी 5. नमो 6. काव्य संगम-12 7. पवित्र बंधन 8. धागों का त्योहार 9. घनघोर घटाएँ 10. मेरी भी कविताएँ-4 (मुद्रणाधीन) 11. रेशमी सफर (मुद्रणाधीन) आपने कुछ तो है नामक एक पुस्तक भी लिखी है जिसमें 124 काव्य रचनाएं हैं। इस पुस्तक का विमोचन हाल ही में हुआ है। संपर्क 310, पुष्पाञ्जलि अपार्टमेंट, केशव कुञ्ज, प्रताप नगर, आगरा-282010 मोबाइल 9458060262 ई-मेल vinaybansal.310@gmail.com