नागपंचमी
सुबह मेरे जागते ही पत्नी मुझे देखकर मुस्कराई मेरे पास आई ! बोली मुंह – हाथ धो लो फिर मैं
Read Moreबादल घिरता देखो तो, मीत याद आता है, ठंडी हवा के सिहरन से प्रीत याद आता है। दूर अभी मैं
Read Moreजिसके पास कुछ भी नहीं, मैंने उसे भी हँसते देखा है, जिसके पास है सब कुछ ,मैंने उसको भी रोते
Read Moreमैं फ़कीरों की बस्ती में कहीं जा पहुंचा न जाने फिर क्यूं हंगामा खड़ा हो गया मंदिर की घंटी बजते
Read Moreसच्चाई को भुलाए, बस अपनी ओर बुलाए, गहरी निंद्रा में सुलाए, मनचाही राह चलते है । आँखों में सपने पलते
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