विदाई !
जाना है छोड़ कर अब जानती हूँ बाबा ये सब पर जान कर अंजान रही बात ह्रदय की न कही!
Read Moreतेरी पायल की रुनझुन से घर मेरा डोले तेरी एक किलकारी पे पापा है बोले जब से तुम आई जिंदगी में
Read Moreशिल्प~ [रगण यगण जगण गुरु] (212 122 121 2) 10वर्ण प्रति चरण, 4 चरण,2-2 चरण समतुकांत प्राण नाथ जो आप
Read Moreचलो अब चुप रहते है कुछ नही बोलते हैं सुनते हुये भी अनसुना करते हैं आखिर यही एक रास्ता बचा
Read Moreसुनो ओढ़ ली हूँ तेरी यादों की चादर ये जो सुबह सुबह हल्की हल्की ठंढी हवायें मुझे छुकर गुजरती है
Read Moreये जो तुम अपने पुरूषार्थ के शान मे रहते हो और गली गली भेड़ियो के भॉती घुमते फिरते हो कि
Read Moreकवि के मन में सहसा उपजे, भांति भांति के विचार है कविता, कवि का हृदयोद्गार है कविता । प्रणय मिलन
Read Moreअपने अरमानो का गला घोंटकर , आजकल मैं छुपके से रौ रहा हूँ, शायद मैं अब बड़ा हो रहा हूँ!
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