परिवर्तन की नाद
सुनो दस्तक … चाहे परिवर्तन अब नारी । बीता वो युग, जब थी नारी “केवल श्रद्धा । जो बन कठपुतली
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Read Moreगौ सृष्टि का आरम्भ है •••••••••••••••••••••• गौ सृष्टि का आरम्भ है शुभारंभ है | गौ मानवता की पौशक है दानवता
Read Moreपूनम की रात, तेरे प्यार की चांदनी जलाती है, अमावस की रात, दिल में अँधेरा कर जाती है, यह
Read Moreधर्म के आड़ में अधर्मी पनप जाते हैं। मंदिर में बैठकर पुजारी बन जाते हैं। बाबा के नाम पर सभा
Read Moreधर्म और राजनीति ———————– जब धर्म और राजनीति आपस में मिल जाते हैं तब मानवता के आशियाने जलाये जाते हैं
Read Moreवही अलबेला है मौसम वही बरसात की रातें ! हमारे भीगने से पहले भीगी – भीगी सब बातें !! तुम्हें
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