“कुंडलिया”
ले कागज की नाव को, बचपन हुआ सवार एक हाथ पानी भरे, एक हाथ पतवार एक हाथ पतवार, ढुलकती जाए
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Read Moreमरने का शौक नहीं मुझे भी जीवन से मुझको प्यार है। पर डरता नहीं जरा भी मैं बस अपना भी
Read Moreनाद पंचजन्य की रणभेरी आज फिर आई है, कुरुक्षेत्र के रण से युद्ध पताका लहराई है.. सम्मुख फिर वही आज
Read Moreसरला भट्ट और गिरिजा टिक्कू की याद में… ध्यान नहीं था, ध्यान नहीं है, कश्मीर में मिटती मानवता की। सरला,
Read Moreविधान~ [भगण नगण जगण जगण सगण ] *(211 111 12, 1 121 112)*, 15वर्ण, 4 चरण,(यति 8-7), दो-दो चरण समतुकांत
Read Moreजाने क्यों जब भी तुम्हे रोते हुए देखता हूँ सोचता हूँ खुद को कोई ऐसी सज़ा दूं जो ख़त्म कर
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