मुझे तू नज़र आया
बरसों नहीं, जिन्हें जीया मैंने जन्मों, उन ख्वाबों के कत्ल में… मुझे तू नज़र आया l रेत के महल जैसे,
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Read Moreनीयत और नियति समझ से परे है एक झटके में सब बदल देता है, ज़िन्दगी अवाक्! काँधे पर हाथ धरे
Read Moreप्रेम और जुदाई इनका तो किस्सा ही पुराना है इनका तो काम ही रातों की नींद और दिन का चैन
Read Moreएक दिन मैं जा पहुंचा गाँधी की कुटिया के अन्दर चरखा ‘ चश्मा लाठी के संग बैठे तीन थे बन्दर
Read Moreआज कुछ प्रज्ज्वाल लपटें उठ रही हैं मन के अंदर आज कुछ कंपित हुआ है जैसे भीतर का समंदर टूटते
Read Moreहम सत्य के जितने करीब उतने उज्ज्वल,उतने धवल सत्य का सिर्फ एक रंग “श्वेत” विलीन है जिसमे रंग अनेक मिथ्या
Read Moreउतरा चाँद जमीं पे तो तटिनी तब थम सी गई शांत हुई मिल प्रिय से वो गतियाँ सारी रुक सी
Read Moreनाम था नंदू ,काम था एक सीधा सादा बड़ा ही नेक । पढ़ना लिखना , कुछ ना भावे बुद्धू
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