पुकार
एक पुकार मेरे गर्भगृह में घर्षण होता रहता है निरंतर बिना रुके बड़ी बड़ी चट्टानें टकराती है कभी अंदर ही
Read Moreमुझे सोने नहीं देती, खुश होने नहीं देती, याद मेरे गाँव की, याद मेरे गाँव की। जिस आँगन में बचपन
Read Moreढ़ेर सारे साँप निकले है आजकल दौरों पर जो हमेशा ही चुनावी मौसम मे निकलते है ! ढ़ेर सारे
Read Moreचहूँ ओर सूरज के घूमें धरती वैसे ही… हर रचना का केन्द्र तुम बन जाते हो हर लफ्ज, हर भाव
Read Moreउस रोज जब तुमने मेरी तमाम मिन्नतों से अभिभूत हो या यूँ कहूँ कि उकताकर मंजूर किया था मुझसे मिलना
Read Moreचहूँ ओर सत राग का शोर बड़ा बता दो किनके गले में छाला पड़ा हाँ तो गर्म दूध जिनके मीत
Read Moreमाना कि आप इल्म के खलीफाये ख़ास हैं, वर्षों का तजुर्बा आपका, कीमती असआर हैं। मगर हमको भी आओ, कमतर
Read Moreप्रेम जगत का सार है, कोई इसे कहता प्रीत, कोई कहता प्यार है, यह प्रीत भी है, प्यार भी, स्नेह
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