कविता

नफरत

दिल मे भरी

नफरत है

और हाथ दिल से

मिला रहा है

बड़ी मीठी सी जुबाँ उसकी

शहद में डूबोकर

चाकू चुभा रहा है

पूछकर गम हमारे प्यार से

भरी महफिल में

हँसकर सुना रहा है

आस्तीन का साँप था वो

दोस्त हमने जिसे बना रखा है

 

रीना मौर्य "मुस्कान"

शिक्षिका मुंबई महाराष्ट्र ईमेल - mauryareena72@gmail.com ब्लॉग - mauryareena.blogspot.com