शब्दों का खेल
कभी प्राण बन कभी बाण बन बींध हृदय को जाते हैं ! ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं !
Read Moreकभी प्राण बन कभी बाण बन बींध हृदय को जाते हैं ! ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं !
Read More“खुश्बुदार पैंट” सूट बूट टाई वाई लगाकर हैट कैट दिखाते हुए निकले जनाब अपना फैट सुबह सुबह किचकिच है पीच
Read Moreन वो बदले हैं , न हम बदले है , बस हमारे बीच अब बदले हैं। सच की दहलीज़ पर यूँ बैठे
Read More“डोर पकड़े हाथ” अरमान बेईमान हम ठहरे नादान बांवरी भीड़ है नदी में नीर है घहरा गई बिहान छोड़ गई
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