सर्दी
पड़ रही फिर इस बरस कड़ाके की सर्दी पहन कर फिर से आई फिर ठण्ड भी वर्दी सर्द भरे मौसम
Read Moreजिस दिन मेरा जन्म हुआ तुम, फूट फूट क्यों रोई माँ क्या सपनों की माला टूटी, जो तुमने पिरोई माँ
Read Moreइतना दर्द तो मुझे ये सर्द के हवा भी नही देते जितना की तेरी यादे रह रहकर दर्द देती है
Read Moreतेरी इनायत जो हुई मेरी निगाहों पे झंकृत हो उठे दिल के तार सारे नम्र स्पर्श वो तुम्हारी नज़रों का
Read Moreसोचा ना था समझा ना था जाऊँ कहाँ मालूम ना था कांटे तो थे लाखों मगर एक फूल की भी
Read Moreमाफी चाहता हूँ मैने नववर्ष का अभिनन्दन नही किया अंग्रेज़ो के द्वारा दिये गये तारिखो का वन्दन नही किया !
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