वर्षगाँठ
जब मैं पहली बार मिली तुमसे तो लगा जैसे अब हुई है मेरे जीवन की सही शुरुआत मानो मेरे जीवन
Read Moreब्रह्म को जानता जो, ब्राह्मण कहलाता था, दीन- हीन बना रहा जो, शूद्र कहलाता था। शिक्षा का प्रचार प्रसार, जिसका
Read Moreसुदूर गाँव से जब आता है फ़ोन किसी आत्मीय का बातों ही बातों में जिक्र होता है ठण्ड के मौसम
Read Moreसाल बदल जाये तो क्या , समय न अभी भी बदला है पूस माघ में छुटकू के तन पर, अब
Read Moreतीखे नैन, अदा नखराले, उड़ते गगन में हम मतवाले। पंख खोल हम इतराते थे, रहते सदा साथ दिलवाले।। मैं राजा
Read Moreकुछ शैलाकृतियाँ है जो मुझे बुला रही हैं, ढलते सुर्य को अपने दामन में छुपा रही हैं, छु रही है
Read Moreमेरे नन्हें से हाथों ने बड़ी जोर से थामा था लगता था मेरी मुट्ठी में तब सारा जमाना था बाजार
Read Moreआज मैं हूँ उलझन में अपनों से अनबन में जो कभी सोचा नहीं वो घट रहा है जीवन में झूठ
Read More