कविता :पत्तों की भाँति…
पत्तों की भाँति जब बिखरे विश्वास नम आँखें कहें… दर्द होता है !! अपना बना के जब करे कोई रुसवा
Read Moreपत्तों की भाँति जब बिखरे विश्वास नम आँखें कहें… दर्द होता है !! अपना बना के जब करे कोई रुसवा
Read Moreजब भी मिलना चाहें… मूंद लेते हैं आँखें हर रोज़ ख्वाब में आएँ… ये ज़रुरी तो नहीँ !! अश्कों संग
Read Moreसारे जग से है प्यारी मेरी जानवी बेटी लगती है प्यारी मेरी जानवी न दूंगा आने कभी तेरी आँख में
Read Moreनींद हराम कर चोरों की हँस रहे हो तुम आमजन के हृदय में रच बस रहे हो तुम लोग उठा
Read Moreडूबा हूँ उनके ही ख्यालों में जाने क्यों अजीब सी लालिमा है गालों में लटें उलझी हैं शायद बालों में
Read Moreवो चिल्लाते है उन्हें चिल्लाने दो कतार में मोदी मोदी कहता जा राहत की सांस लेता जा शांतिपूर्वक अपनी मुद्रा
Read Moreकलियुग में रवि सम उदय , जैसे हुआ प्रभात । सब अँधियारा मिट गया, भूल गये दिन रात । माया
Read Moreजग में मोदी तेरा नाम , दुनियाँ करती है गुणगान । कैसा पावन तेरा काम , दुश्मन करते रोज
Read Moreचारों खाने चित्त हुए हैं , कलियुग के सब नेता । कोई आया सतयुग वाला , यह कैसा है नेता
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