कविता : मेरी बिटिया
“मेरी बिटिया “ घुटनों बल चलती, ठुमकती – थिरकती, कभी आँचल में छिपती, कभी कान्धे पर चढ़ती ! वो नन्ही
Read More“मेरी बिटिया “ घुटनों बल चलती, ठुमकती – थिरकती, कभी आँचल में छिपती, कभी कान्धे पर चढ़ती ! वो नन्ही
Read More(बलात्कार से पीड़ित एक नारी की कहानी) मेरी मन की पीड़ा न जाने कोई मुझे ना यहाँ समझ पाए कोई
Read Moreआस्तिक उसे कहते हैं, जो परमात्मा के अस्तित्व को स्वीकारता है, नास्तिक उसे कहते हैं, जो परमात्मा के अस्तित्व को
Read Moreजीवन ऐसे जियो कि जीवन में लय रहे सुर रहे ताल रहे जीवन हर हाल में खुशहाल रहे.
Read Moreजीवन केवल एक सफर नहीं, इम्तिहान भी है…. हर मोड़ पर आता है यहाँ नया मुकाम ही है… है केवल
Read Moreहे चाँद बताओ कभी कभी ‘ क्यूँ देर से आते हो देर से आकर भी क्यूँ ‘ बादल में छिप
Read More