असाधारण
धन्य है साधारण को अ लगाने से कीर्तिमान कांति युक्त उच्चतम का आभास ही नहीं होता बल्कि यकीन हो जाता
Read Moreहै बदला सा सब कुछ विश्वास के धागे अन्तहिन घात दुरूह हुआ रूदन भी अर्न्तमन का कासे कहूँ मन की
Read Moreअजीब सी भटकन है ये न कोई तयशुदा मंजिल न रास्ते एक तरफा भरा भरा सा आंंगन खाली खाली ये
Read Moreकुछ बैठे दिखेंगे तुम्हें सड़क किनारे, कुछ मिलेंगे तुम्हें रेहड़ी लगाये बेचारे, बस उनसे कुछ सामान खरीद लेना। इससे चंद
Read Moreबाबुल की दहलीज को जो न भूल पाये वो है बेटी जाते जाते भी आंसुओं से आंगन सींच जाए वो
Read Moreगरीबी से त्रस्त पिता पुत्र लकड़ी बेचते दोनों शिक्षा शून्य बाजार में आसानी से शिक्षित लोगों से सहज में लूटते
Read Moreकुछ परंपराओं को आज भी माना जाता है भाग्योदय का समय भी टाला जाता है छींक आई गोली मत चलाओ
Read More