कविता

किसान

दूर तक निहारती अखियां यह उदास।
मेघा कब बरसेंगे बुझेगी धरती की प्यास।

पल -पल बड़ती है चिन्ता किसान की ;
बोझ तले दबा है जीवन और यह दास।

तुमसे मेघा थोड़ी सी मदद चाहता हूँ ;
न होगी फसल अच्छी तो टूटेगी आस।

आओ तुम और जाओ बरस – बरस ;
दिल से करता हूँ हार कर अरदास।

जो न हुई फसल तो कैसे कर्ज चुकाऊंगा ;
खत्म होगा जीवन और होगी खत्म सांस।

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |