कविता: सोचो जब हम न रहे
सोचो जब हम न रहे, तो क्या अपना रह जाएगा रिश्ते-नाते धन-दौलत सब, यहीं धरा रह जाएगा !! तिनका-तिनका जोड़
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Read Moreनज़रिया बदल रहा है, देखने का मेरा भी संग ज़माने के अब तो, मैं भी बदल रही हूँ !! समझ
Read Moreदेख टूटा तारा नभ से माँगा था कोई अपना ही पर उस टूटे तारे की तरह टूटा था मेरा सपना
Read Moreअक्स बन के मेरा संग रहते हो, इस दिल में ! ख्यालों की मेरे रेखा तुम पार कर जाते हो
Read Moreस्व आस प्रयास स्त्री प्रतिभा त्याग बेबसी बेवश खुशबू चपला नभ सेना{1} चै खिले बो याग बद्ध राग लौ स्व
Read Moreजगमग जगमग चमक रही हैं , चाँद संग राते । कुछ सपने लेकर आयी हैं, लायी सौगाते । बडे सजीले
Read Moreबढ़ी उमर गुजरी हुई, साथी संग मुकाम रफ़्ता रफ़्ता सरकती, जीवन पहिया शाम जीवन पहिया शाम, न बिछड़े बैरी का
Read Moreनया बहाना शुरू हो गया देना दाना शुरू हो गया रूठा रूठा रहता था जो उसे मनाना शुरू हो गया
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