कविता

कविता : टूटा तारा

देख टूटा तारा नभ से
माँगा था कोई अपना ही
पर उस टूटे तारे की तरह
टूटा था मेरा सपना भी !

कह देते अगर वक़्त रहते
अनकहीं-छुपी दिल की बातें
तो शायद किस्मत में होता
बेगाना हुआ वो अपना भी !

ऊपर वाला है लिखे नसीबा
बेगाने ख्वाब क्यों दिखलाये
बदल न पाये इन्सां तकदीरें
सपना रहे सदा सपना ही !

देख टूटा तारा नभ से
न माँगो कोई सपना ही
जब ख्वाब न पूरा हो पाए
दिल टूटेगा अपना ही !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed