कविताएं
मैंने कविताऎं लिखना छोड़ दिया है क्योंकि कविताऎं अजीब होती हैं वो तो फुरसत की चीज़ होती हैं कुछ
Read Moreचँद सिक्कों की खनक में ईमान का स्वर खो रहा है भ्रष्टाचार की अँधेरी गलियों में मानव निज घर खो
Read Moreजहाँ होते थे पहले लहलहाते खेत आज वहां कंक्रीट के जंगल हैं पहले वहां खुले विचरते थे कुछ दुधारू पशु
Read Moreमाथे पर पड़े बलों ने कुछ और ही बताया और वह छवि मिटा दी जब तू था मुस्कुराया क्यूँ
Read Moreप्रेम कहानियाँ सब पीछे रह जाती हैं जिंदगी बस आगे बढ़ जाती है कोई गली, कोई गुलाब कोई चुनरी कोई
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