कौमी एकता
कौमी एकता इंसानियत का फरमान धर्म जाति वर्गवाद अंतरद्वंद से हटकर मानवीय प्रयास धर्म गुनाह नही अति धर्मवादिता कहाँ तक
Read Moreरंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा बीबी का फिर यारो गाल पर पड़ा मुक्का तगड़ा हाल न
Read Moreअप्सरा सी सजी है सुन्दरी कर सोलह श्रृंगार है खडी देह को वर्ण है गौर बड़ी लुभावनी सी लगी गले
Read Moreझूठ न बोले दर्पण हर सच्चाई को उगले औकात हरेक को दिखाए निहारो रूप जब -जब तुम दर्पण में रहस्य
Read Moreक्यों छोड़ दें हम अपने जीने का अंदाज । क्या है हमारे पास इस अंदाज के सिवा। क्यों छोड़ दें
Read Moreजब सूरज करे अंधेरा, दीपक घात करे उजियारों से। साज़िश का तूफान उठे जब, घर की ही दीवारों से॥ जब
Read Moreफागुन मे बरसत रंग -पीकर भंग हुए मातंग / भूल गये दिन रात ———कहें हम सुप्रभात/ कहें हम सुप्रभात ————
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