विरहिन की गली मत जाना रे भौंरा
जाफरी साहब…! हाँ….जाफरी साहब..यही नाम था उनका। बचपन की कुछ यादों के बीच जाफरी साहब भी स्मृतियों में अकसर आते
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Read More10 अप्रेल, 2013 को मैंने नवभारत टाइम्स में अपने ब्लाॅग पर एक लेख डाला, जिसका शीर्षक था- ‘हिन्दू होने का
Read Moreअब मैं चाहता हूँ कि लीला बहन के मुझ पर लिखे सभी ब्लॉग एक एक करके “मेरी कहानी” की कड़ियां
Read Moreजिंदगी फिर से पटरी पर आ गई और मैं कुलवंत के साथ गाडी में बैठ कर बच्चों को सकूल से
Read Moreजी हाँ! मैं रसूलपुर में स्थापित महादेवी वर्मा की साहित्यकार संसद की ही बात कर रही हूँ। मेरे लिए
Read Moreरात भर सो कर सर कुछ हल्का सा हो गया। बैड के साथ जो स्पैशल हैंडल लगाया गया था, उस
Read Moreमैं कुछ सेकुलर कहे जाने वाले दलों की सरकारों की मुस्लिमपरस्त नीतियों पर व्यंग्य करता रहता था. ऐसा ही एक
Read Moreनर्स मेरी पीठ के पीछे दो तकिये रख जाती थी । कुछ दिन बाद सुबह नर्स आई और मुझे मेरी
Read Moreऐमरजैंसी वार्ड में मैं तीन दिन तीन रातें ऐसे ही पड़ा रहा, कोई हिलजुल नहीं थी, खाना तो दूर की
Read Moreफरवरी 2013 में मैंने अपने ब्लॉग पर अपने प्रिय विषय महाभारत पर एक लेख लिखा कि मैं यह जानना चाहता
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