लघुकथा – ताजिए
बेहद थके उदास कदमों से घर लौटे अब्दुल मुंह लटकाकर बैठ गए।सुबकते हुए सकीना उनकी ओर गिलास बढ़ाकर बोली-थोड़ा सा
Read Moreबेहद थके उदास कदमों से घर लौटे अब्दुल मुंह लटकाकर बैठ गए।सुबकते हुए सकीना उनकी ओर गिलास बढ़ाकर बोली-थोड़ा सा
Read Moreआभासी संवाद का सिलसिला पहली मुलाकात तक आ पहुंचा।जब रितेश और करुणा पहली बार मिले थे। यूं तो दोनों के
Read Moreकुछ दिनों से लगातार बारिश है रही है। नदी नाले सब उफान पर हैं। सभी अपने अपने स्तर पर बारिश
Read Moreबस स्टॉप पर बस रुकी। यात्रियों की भीड़ में एक वृद्ध किसी तरह कंडक्टर की सहायता से चढ़ा। बस चल
Read More“बारिश के दिनों में बचपन में हमने कागज की नाव खूब चलाये हैं। बड़ा मजा आता था। तब हम नाव
Read Moreमहिमा देखने में सुंदर तो थी ही, उसका स्वभाव भी बहुत मधुर था, परंतु दो साल पहले पिताजी की मृत्यु
Read More“अरे! भइया! तुमने तो लूट मचा रखी है।बीस रुपये की ककड़ी 40 रुपये किलो दे रहे हो।”मेम साहब अपने कुत्ते
Read Moreआज अध्यापक कक्षा में कदम रखते ही बच्चों से बोले – ” बच्चो ! आज सभी अपने–अपने पिता जी को
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