ग़ज़ल
गिरने की हर हद को पार करे है अबअपना ही अपनो पर वार करे है अब अपने औरा के साए
Read Moreमौन नि:शब्द मन की एक मूक भाषा,परिस्थिति पर निर्भर जिसकी परिभाषा,कभी स्वीकृत पथ बढ़ा शांति की ओर,या तूफानों के आने
Read Moreमौसम ने ली अंगड़ाई।बसन्त पर छाई तरुणाई।टेसू के फूल हो गए लाल।गुलमोहर भी दिखते कमाल।सजी है बहारों की डोली।चंदा संग
Read Moreबचपन तुम्हारे लगे सुहावनेकोयल की ज्यों मन बहलानेमदहोशी छा जातीमुश्किल से ही सम्भल पातीइस सम्भलने में भी थीअस्थिर होते मन
Read Moreकुरसी का खेल जग में है निरालाबैठा इन्सान का होता बोलबालापक्ष विपक्ष का है मंजिल का कामप्रजातंत्र में कुरसी का
Read Moreजैसे ही मताधिकार दिवस आया,समारू के अंदर भीवोट देने का विचार समाया,पहले तो खूब सोच विचार किया,क्या खोया क्या पाया
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