सरस्वती वंदना
गीतिका लिखता रहूँ नित काव्य नूतन प्यार दे माँ शारदे।मम लेखनी को भाव का उपहार दे माँ शारदे।।1 भावुक नहीं
Read Moreगीतिका लिखता रहूँ नित काव्य नूतन प्यार दे माँ शारदे।मम लेखनी को भाव का उपहार दे माँ शारदे।।1 भावुक नहीं
Read Moreवो पूनम की रात है अब भी याद।था दरमियाँ वो अनोखा एहसास।न तुमने कहा, न कुछ हमने कहा।फिर भी निगाहों
Read Moreमाँ तुम ही मेरी पूजा होतुम धरती सी सहनशील हो,माँ तुम पल में पीड़ा हर लेती होतुम नवरूपा जग कल्याणी
Read Moreमौत निश्चित है छोड़ेगी नहीं यह सब जानते हैं फिर भी पूरा जोर लगा देते हैं ज़िन्दगी बचाने को पूरी
Read Moreठंडी–ठंडी सी पुरवाई, दस्तक दे चहुंँओर। श्वेत वस्त्र धारण की धरती, हुई सुहानी भोर।। दृश्य देख धुंँधला–धुंँधला सा,खींचे लंबी श्वास।
Read Moreवाणी हो सदा मिश्री घुली-सी, वाणी न हो कड़वी करेले-सी, वाणी मीठी हो मृदुल, मधुरिम, वाणी सत्यार्थी, सुर-लय सरगम।। वाणी
Read Moreआंखों में सतरंगे सपने सुनहरे, सबल मैं, बुलंद हैं हौसले मेरे।। सतत अभ्यास, अथक प्रयास, श्रमसाफल्य से जीत का विश्वास।।
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