पद्य साहित्य

कविता

मालदार दूल्हा ढूंढने वालो खुद से भी सवाल करो!

दहेज की बातें करते हो,सड़कों पर मोमबत्तियाँ जलाते हो,पर बेटी की शादी में फिर भी,बैंक बैलेंस पर निगाहें गड़ाते हो।

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