बढ़े हर कदम ने तेरे, मुझे हर पल सँवारा है उसी ने ही सुनो प्यारा, नसीब ये सुधारा है बहारों के नज़ारे सुन सदा ही तो रहे भाते समय कितना मिला जो साथ मिल हमने गुज़ारा है बने हम तो हुये है एक – दूजे के लिए ही हम उधर तुमने इधर से तो, हमीं […]
पद्य साहित्य
नवरात्रि विशेष
मेरी माता कितनी भोली सिंह सवारी निकली डोली दैत्यों का संघार मां करती भक्तों का उद्धार मां करती जो भी इनके दर पे आता खाली झोली कभी न जाता मां का गुणगान हो रहा है मां का जयकारा गूंज रहा हैं जयकारा शेरावाली का जयकारा मेहरावली का मां आश लगा के आई हूं कब से […]
मां गंगे
हे नीरझरनी पाप विनाशनी विनय करु मैं शीश झुकाई हो तुम्हीं सबके मोक्षदायिनी पतित पावन नाम है गंगा भागीरथी ने किया तप भारी जो लाए धरा सुरसरित गंगा पापियों के स्पर्श मात्र से पाप कटे मन शीतल होवे शंकर जटा में विराज रही मां भक्तों के कार्य सवारन वारे हे मंदाकिनी , हे ध्रुव नंदा […]
बड़े बनने की होड़
दौर जो यह चल रहा है हर आदमी यहाँ बड़ा बनने की होड़ में दौड़ रहा है भूल रहा है वह जो यह सफर है बड़ा आदमी बनने का नहीं सिर्फ इंसान बनने का भी है हो सकता है इस दौड़ में बड़ा आदमी तुम बन जाओ पर पड़ी हो तुम्हारे कदमों तले आदमी की […]
कविता
पराधीन हो कर जीवन जीने की अपेक्षाकृत जीवन को ना जीना अधिक बेहतर है क्यों कि बेज़्ज़त हो कर सिर्फ़ साँस ली जा सकती है, जिया नहीं जा सकता है। जिन लोगों ने अपमान किया हो, भेदभाव किया हो, दुर्व्यवहार किया हो, उन्हें फिर से दूसरा मौक़ा देना सबसे बड़ी मूर्खता होती है॥ जिस प्रकार […]
धरती पोषण दे हमें
सागर निर्झर सर नदी, धरती सुंदर रूप। रखें धरा को नम सदा, झील बावली कूप।। धरती पर उगते रहे , वृक्ष झाडियाँ बेल। प्रकृति सुंदरी रच रही, रुचिर नवल नित खेल।। उर्वर वसुधा है कहीं, कहीं उड़े है रेत। बंजर पथरी रेणुका, कहीं झूमते खेत।। धरती पोषण दे हमें, करती सदा निहाल। वन उपवन कानन […]
बेपनाह इश्क
बेपनाह इश्क का है ये मंजर प्रेमी के लिये समाज बना खंजर फिर भी प्रेम प्रीत हम बरसायेगों एक दुजै के साँसों में खो जायेगें हर कोई है लैला हर कोई मज़नूं चमक रहा है अंधेरे में जैसे जूगनूं कोई चुपके चुपके घर है बसाता कोई जगत में है प्रेम रास रचाता प्रेम दरिया में […]
कविता
चलते चलते राहों में देखा मैनें जिंदगी को, वो मेरी मंजिल की राहों में गुनगुना रही थी , वो मुझसे नजरें बचाकर, मेरे हालातों पे मुस्कुरा रही थी । फिर कई वर्षों के बाद मुझे आई समझ, वो मुझे लोरी सुना कर बहला रही थी । जब मैनें उससे पुछा, क्यों मुझसे हो खफा? तो […]
बिहार दिवस (22 मार्च 2023, 111 वां स्थापना दिवस)
बिहार है वह पावन भूमि , जहाँ माता सीता ने जन्म लिया। जहाँ धर्म,ज्ञान की ज्योति जली, वैराग्य का प्रादुर्भाव हुआ। जिस मिट्टी मे ऋषि मुनि जन्मे, भारत माँ का गौरवगान किया। जिस धरती पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जन्म लेकर भारत को कृतार्थ किया। जिस भूमि पर भगवान महावीर ने जैनत्व का परचम लहराया था। जिस माटी में गौतम बुद्ध ने […]
और अब ये निखर जाएंगे
आज थोड़ा बरस वो गए हैं तपिश में थोड़ी कमी आ गयी है गर्दिश ही गर्दिश नजर आ रही थी सेहरा में थोड़ी नमी आ गयी है हवाएं यहां ऐसी चलती रही तो घटाएं कोई बांध सकता नही तपती रही महि जो अब तक सुकूँ में थोड़ी जमी आ गयी है नए अंकुरों को सहारा […]