कविता

हम हैं कामगार…

हम हैं कामगार, अपने देश का सूत्रधार,
परिश्रम ही हमारा कर्म, देश को उन्नत बनाना हमारा धर्म।
हम है भारत माँ के योद्धा एवं सपूत,
मेरे कर्म और श्रर्म ही है इसके सबूत।
अपने परिश्रम से हम करते है सपनों को साकार,
मेरे स्वभाव में है आत्मबल, सच्चाई और सादा विचार।
हम हैं मजदूर, हम हैं इस देश के किसान,
हमें मिला है ईश्वर से मिहनत और शक्ति का वरदान।
मजदूरी कर हम ऊंचे ऊंचे भवनों का करते हैं निर्माण,
खेतों में काम करके उगाते है हम मक्का, बाजरा,जौ, गेंहू और धान।
ईश्वर से मेरी यही है प्रार्थना, तू मुझपे अपनी दया बनाए रखना,
हमें कभी किसी के सामने हांथ न फैलाना पड़े
हमपे अपनी सदा श्रमसाध्य बनाए रखना।
— मृदुल शरण

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