क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 05/11/202506/11/2025 0 Comments दर्द ज़माने भर को क्या बताऊँ अपना दर्दे जिगर जब खुद ही सहना हो यह खुद का दर्द Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 05/11/202506/11/2025 0 Comments फुर्सत याद है तुमको मिल लिया करते थे हम जब कभी अब फुर्सत निकालनी पडती है एक छोटी सी भी मुलाक़ात Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 22/10/202522/10/2025 मौन आँखें जो कह जाती है वो शब्द नहीं कह पाते आँखों की मौन भाषा शब्दों को खा जाती है Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 22/10/202522/10/2025 आइना अगर है कोई बफादार तो वह है आइना जिस रूप में खड़े होगे उसके सामने वही अक्श दिखलाएगा तुम्हें Read More
क्षणिका *सुधीर श्रीवास्तव 09/10/202509/10/2025 चापलूसी कौन सुनता हैआज उसकी पीड़ा,जिसे चापलूसी करना नहीं आता,क्योंकि उनको तो बस यही भाता है।अच्छा है सीख लो चापलूसी करनाउस Read More
क्षणिका *सविता सिंह 'मीरा' 08/10/202508/10/2025 शरद की सुप्रभात शरद ने कानों में आकर,कह दिया चुपके से गाकर —“पाकर मुझको निखर गई ना?सच कहो, तुम सिहर गई ना?” धवल Read More
क्षणिका *डॉ. मनोज श्रीवास्तव 14/09/202514/09/2025 क्षणिका हम सारे ही सफर में रहते हैंमंजिल का किसी को पता नहीं होतागाड़ी रफ्तार से चलती रहतीकहां उतरना है यह Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 05/09/202505/09/2025 दीदार मकान था छत थी उनको देखने के लिए छत पर कपड़े सुखाने का बहाना था जब से फ्लेट वाले हुए Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 24/08/202524/08/2025 व्यंग्य अगर ध्यान से देखा और सोचा जाये तो बीड़ी सिगरेट पीना भी एक योग ही है. अनुलोम – विलोम. लम्बा Read More
क्षणिका एस. अमन्दा सरत्चन्द्र 10/08/202510/08/2025 दोस्त एक दिन,दोपहर के समय,कुछ पंक्तियों के बीच बैठा था,तभी एक लड़का दोस्त मिला,जब मैं अपनी सहेलियों के बीच थी। — Read More