हम दोष ढूंढने में हैं माहिर शब्द पकड़ बैठ जाते हैं शब्दों के पीछे की भावना नहीं हम पढ़ पाते हैं ❤️🙏
क्षणिका
दर्द की नई परिभाषा
दर्द की नई परिभाषा है, तुम क्या जानो दर्द की क्या परिभाषा है? दर्द सिर्फ प्यार में नहीं होता, प्यार में दर्द तो एक दिलासा है, मोबाइल चार्जिंग में लगा हो और 1 घंटे बाद पता चले कि लाइट बोर्ड का स्विच ही ऑन नहीं था, तब पता लगता है कि असली दर्द क्या होता […]
दीपक
दीपक सबको समान रूप से रोशन करता है, स्नेह (तेल) की आखिरी बूंद तक अनवरत चलता है, तेज़ हवाओं से भी साहस से लड़ता है, निस्तेज होने से पहले अधिक तेज जलता है. सदियों तक जिंदा रहनेवाली बात लिख गए, रोज पढ़ता है जमाना वो इबारत लिख गए, शहर की बिजली में क्या लिख पाते […]
घेरा
घेरा तो आखिर घेरा है, हसरत का या बेरुखी का, वफा का या बेखुदी का, प्यार का या तिरस्कार का, तकरार का या इंकार का, काम का या व्यापार का, आहट के इंतजार का, पुष्पों का या कंटकों का, खुशियों का या गमों का, कोशिश का या नाकामयाबी के रंज का, हार-जीत तो होनी ही […]
संध्या-बेला
संध्या की बेला है या रंगों का मेला है नभ ने बनाई है रंगोली या खेल रहे हैं बादल होली बादल हैं मोहन लिए पिचकारी बदरिया है राधा लिए कटि में कमोरी गगन बना है वृंदावन, गोप-गोपियां प्यारे चंदा है मनभावन रसिया रास रचा रहे तारे
कविता
तेरे दिल के आसमान पर निकलता सुधाकर मैं ही हूँ एक भी सितारे नहीं चाहिए बस रात का इंतज़ार है — दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि
हिन्दी की बिंदी
क्या आपको ये भी कुछ अजीब नहीं लगता, हिन्दी का जलवा तनिक समझ नहीं आता? तो एक बार इस पर कुछ बेशर्मी से ही बोलिए तो सही अंग्रेजी के अक्षर भी गुम हो जाते हैं मगर हमारी प्यारी हिन्दी का जलवा तो देखिए, हिन्दी की बिंदी भी मौन नहीं होती अपनी उपस्थिति का अहसास ही […]
क्षणिका
सरफिरा हूं मैं आदत है जो सच बोलने की बात का मेरी बुरा न मानिए हुजूर न दिल पर इन्हें लिया कीजिए
क्षणिकाएं
मेरे बोलने पर उनको थी आपत्ति मौन हूं तो भी परेशान हैं वो
तैयारी
मनाने की तैयारी रख लो जिंदगी रूठ जाती है जोड़ने की तैयारी रख लो हर डोर टूट जाती है समय तो समय देता ही नहीं और सांस छूट जाती है.