ग़ज़ल
दर्दे-इंसां को मैंने लिबासे-अदब पहनायाबला की ख़ूबसूरत लगे है बदनाम ज़ुबां मेरी कई बार सोचा कि हम भी ख़ुदपरस्ती सीख
Read Moreनूर से उन के जग में उजाला हुआ।ख़ूबसूरत जहां का नज़ारा हुआ। वो ही होता रहा जो भी कहते रहे,रब
Read Moreजलती सहर सुलगती हुई रात दे गया,बे दर्द एक शख़्स ये सौगात दे गया। इस बार आगे बढ़कर सलाम उसने
Read Moreजी में आता है के अब तर्क मुहब्ब्त कर दूंख़त तेरे सारे ही, हवाओं के हवाले कर दूं तकाज़ा ए
Read Moreबाद मुद्दतों के आज उनसे मुलाकात हुई।दिल जोर से धड़का दर्द उभर फिर आए।फसले गुल फसले बहार उफ मेरे अल्लाह।ये
Read Moreकरता कोई असर नहीं कोई भी जब दवाबस एक दुआ ही काम आजार में आवे जीवन मिला जिसे बड़ भाग्य
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