धरती
जीवन का आधार ये धरती ऊर्जा का संचार ये धरती। छाती पर सब वहन है करती देश का दुलार ये
Read Moreभाव भायी रगर मनचली क्या करें छांव छाई डगर दिलजली क्या करें खुद से होती कहाँ रूबरू जिंदगी मोह माया
Read Moreयाद आता है मुझे गुजरा जमाना हम भी बांके से नौजवान सजीले थे तुम भी कुछ कम नहीं थी ऐ
Read Moreसच कहूँ, मुझे कहाँ फुर्सत मैं किसी और के बारे में सोचूँ, साहब मुझे दो वक़्त की रोटी के आगे
Read More2122 2122 2122 212 आज माता के सजे, दरबार मे आ जाइए। आइए नवरात्रि के, दरबार में
Read Moreपरदेसी है वो कोई भटकता है शहर में गांवों को याद करके सिसकता है शहर में मिलना बिछड़ना यह तो
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