ग़ज़ल
जख्म पर मरहम रखकर गया, वही अक्सर जख्म देकर गया । रौशनियां जो करता फकत, अंधेरा वो खुद कर गया
Read Moreमौक्तिका (बचपन जो खो गया) 2*9 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘गया’, समांत ‘ओ’ स्वर) जिम्मेदारी में बढ़ी उम्र की, बचपन वो
Read Moreमौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको
Read Moreअपने होने के हर एक सच से मुकरना है अभी ज़िन्दगी है तो कई रंग से मरना है अभी तेरे
Read Moreजब भी यादों में सितमगर की उतर जाते हैं काफिले दर्द के इस दिल से गुजर जाते हैं तुम्हारे नाम
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