ग़ज़ल
जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फ़ौरन बदलनी चाहिए लोकशाही की नई, सूरत निकलनी चाहिए मुफलिसों के हाल पर, आंसू बहाना व्यर्थ
Read Moreजिन्दगी रोज नया रंग, दिखाती हैं मुझे। फलसफा रोज हकीकत का, सिखाती है मुझे॥ मैं हर एक रात सजाता हूं,
Read Moreसम्भल कर तोड़ना, दिल एक नाज़ुक फूल होता है फ़िज़ा में रूह से निकली हुई ख़ुशबू पिरोता है ये
Read Moreमिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने इश्क़ की राह को आसान कर दिया तूने ख़लिश मैं ओस
Read Moreदिल में तस्वीर लिए राह से गुज़रते है हर चेहरे में तुझको तलाश करते हैं तुमने भुलाने की कसम खायी
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