मुस्कुराती रहे माँ….
कि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक तेरे शब्द श्रृंगार
Read Moreकि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक तेरे शब्द श्रृंगार
Read More1 – नई आलोचनाओं का , नया यह दौर आया है कि सच चुपचाप बैठा है, झूठ बस लहलहाया है
Read More१- फैला था चारो तरफ ,तम रूपी अज्ञान । गुरुरूपी दीपक जला ,हुआ दीप्ति का भान ।। २- हम माटी
Read Moreगुरु ब्रह्मा विष्णु गुरु, गुरु शंकर अवतार। गुरु मिलाएं ईश से, मन से हटाके विकार॥ सच्चे गुरु की सीख से,
Read Moreलड़ी लड़ाई गढ़ जीवन में, तनमन भेंट किया सरकार कभी अधपकी सूखी रोटी, कभी मिला चटका आचार जितना जतन किया
Read Moreफसल उगाता वह मर जाता, मँहगाई की मार जहर घोलता राजनीति जब, तन्हाई में प्यार बरस रहा जल झुलस रहा
Read Moreजब मन में उगती फसल, तब लहराते खेत खाद खपत बीया निरत, भर जाते चित नेत हर ऋतु में पकती
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