मुक्तक/दोहा

गुरु दोहा-अष्टक

गुरु ब्रह्मा विष्णु गुरु, गुरु शंकर अवतार।
गुरु मिलाएं ईश से, मन से हटाके विकार॥

सच्चे गुरु की सीख से, अपना जन्म सुधार।
चौरासी के फेर से,पा ले तू छुटकार॥

गुरु सूरज का तेज है, गुरु सद्गुण की खान।
उनके सद्-उपदेश से, ले निज को पहचान॥

हाथ पकड़कर सद्गुरु, कर देते उद्धार।
अपने दीपक आप बनो, सिखा लगाते पार॥

गुरु जीवन हैं, जान हैं, गुरु ही प्राणाधार।
सत्पथ दिखलाते गुरु , देकर ज्ञान का सार॥

सच्चा गुरु कैसे मिले, जान सके तो जान।
छोड़ना होगा अहं को, मान सके तो मान॥

गुरु शरण में बैठ के, ज्ञान का भोजन खा।
छप्पन भोग को छोड़ के, गुरु कृपा को पा॥

भग्वत् प्रेम निखार के, गुरु करते उपकार।
प्रभु से मिलने का तभी, सपना हो साकार॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244