दो मुक्तक
सजल नयन आज जलधार उर प्रिय तुमको रहा पुकार रात कांटों की सेज समान खोजता तुमको मेरा प्यार विरह की
Read More1) बेकरारी की तपन हमको जलाकर रख दिया । और हमसे ही हमें तुमने चुराकर रख दिया नींद भी आती
Read Moreशीर्षक — खुशहाल ,सम्पन्न, समृध्द समृद्धि तुझको कब कहें, रहती तूँ खुशहाल संपन्नता नजीर है, क्यों रहती पैमाल सुख समीप
Read Moreमाया ममता संगिनी, मोह हिया अंगार । कामी क्रोधी लालची, कब उतरे हैं पार । दौलत से अंधे हुए, कौरव
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