मदिरा सवैया
“छंद मदिरा सवैया” वाद हुआ न विवाद हुआ, सखि गाल फुला फिरती अँगना। मादक नैन चुराय रहीं, दिखलावत तैं हँसती
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Read More“मुक्त काव्य” जीवन शरण जीवन मरण है अटल सच दिनकर किरण माया भरम तारक मरण वन घूमता स्वर्णिम हिरण मातु
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