मुक्तक
नहीं सहन होता अब दिग को दूषित प्यारे वानी। हनुमान को किस आधार पर बाँट रहा रे प्रानी। जना अंजनी
Read Moreतुम ही हो मेरे बदलते मौसम के गवाह मेरे सावन की सीलन मेरे मन की कुढ़न मेरी गर्मी की तपन
Read Moreसाँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरई जाओ जनि छोड़ी के बखरिया झूले तिरई……. साँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरई देख जुम्मन चाचा
Read Moreहोकर मानव भूल गए तुम मान महान विचार बनाये। रावण दानव जन्म लियो नहिं बालक पंडित ज्ञान बढ़ाये।। अर्जुन नाहक
Read Moreकूप में धूप मौसम का रूप चिलमिलाती सुबह ठिठुरती शाम है सिकुड़ते खेत, भटकती नौकरी कर्ज, कुर्सी, माफ़ी एक नया
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