जहाज के पंछी
कब तक भटके परदेश में, घर आए। जहाज के पंछी आखिर, जहाज पर आए। कोई बचपन न भटके रोट की
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Read Moreये पावन उत्सव नेह का, रक्षापर्व आया है। रेशम की डोर से लिपटा , रक्षापर्व आया है। सावन की पुरवाई
Read Moreये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो ऐसे वक्त में तो काज़ी,नज़ाकत से काम लो क्या सोचा तुम्हारे कर्मों का
Read More(1) भाई के घर से लौटी बहन उदास दिख रही थी राखी बांधने में कितना घाटा हुआ हिसाब लिख रही
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