ग़ज़ल
मेरी सांसों मे समाए हुए से लगते हो फिर भी तुम मुझे पराए से लगते हो घुली है आँखों में
Read Moreकैराना और कांधला दोनों एक समान खतरे में दिखती जहां एक वर्ग की जान एक वर्ग की जान पलायन करने
Read Moreअब भी विस्थापित कश्मीरी पंडित कैसी लाचारी है मोदीजी राजनाथ देखे क्या कैराना की बारी है क्यों शासन चुप है
Read More(उ प्र के कैराना “कर्णपुरी” से 360 हिन्दू परिवारों के पलायन पर भारत में हिन्दू भविष्य की दशा को रेखांकित
Read More1 – जो भी मिल जाता है तकदीर मान लेती हैं रूठे नसीब को भी ये तदवीर मान लेती हैं
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